तावडू 9 अक्टूबर (दिनेश कुमार): शहर में बन्दरों का आतंक फिर से पनप रहा है। वहीं पिछले 10 वर्षों बंदरों का आतंक चर्म पर है। जहां शनिवार को बंदरों ने शहर की नई अनाजमंडी की दीवारों पर बनी रेलिंगों को त
ड दिया। वहीं अपनी फसल बेचने आ रहे किसान भी इनके आतंक का शिकार हो रहे हैं। जिससे शहर व क्षेत्र के लोगों में प्रशासन व सरकार के खिलाफ भारी रोष पनप रहा है। लेकिन पालिका प्रशासन सब कुछ जान कर अंजान बना हुआ है। शहरवासी मनोज कुमार, ऋतुराज, हरि सिंह, दिनेश कुमार, अनूप सिंह सहरावत, मास्टर कर्मबीर, बलवंत, मास्टर गणेश आदि शहरवासियों ने बताया कि प्रतिदिन बंदरों के आतंक के साए में जी रहे हैं और साथ ही उनके छोटे-छोटे बच्चे भी अपने बचपन से प्रभावित हो रहे हैं। क्योंकि बंदरों का आतंक उनकी गली-मौहल्लों के साथ-साथ घरों की छतों पर भी बढता ही जा रहा है। इसलिए बच्चे मोबाईल व टीवी देखकर ही समय बिताने को मजबूर हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले कई वर्षो से शहरवासी बन्दरों के आतंक से प्रभावित हैं। बन्दरों के आतंक के कारण बच्चों व बड़ों ने तो घरों की छतों पर ही जाना बन्द कर दिया। वहीं महिलाओं ने घरों की छतों पर कपडे सुखाना बन्द कर दिया है, क्योंकि बन्दर छतों पर सूख रहे कपडों को भी फ ाड देते है। गृहणियों ने बताया कि बन्दरों के आतंक के चलते घर में रखे फ्रि ज को भी ताला लगा कर रखना पडता है। यदि ताला खुला रह जाए तो समझो सामान बन्दरों का निवाला बन जाता है। कई वर्षों से की जा रही नगरपालिका से शिकायत के बावजूद समस्या का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है। जिस कारण सरकार की छवि तो धूमिल हो रही है साथ ही प्रशासन की खिल्ली उडाई जा रही है। नगरपालिका सचिव सुनिल रंगा ने बताया कि बंदरों के आतंक के विषय में नगरपालिका की आम बैठक में प्रस्ताव रखा गया था। जो अब डीएमसी से प्रमिशन लेकर टेंडर लगाए जाएंगे।
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